मन चाहैत अछि एकान्त (मैथिली कविता)
सुखक अपेक्षा छोडि
कष्टक त्रास त्यागी
यातनाक प्रतिक्षामे
विचलित मन
चाहैत अछि एकान्त
हार, श्रृगांर उपहार
प्रेम, सिनेह आ दुलार
सव रंग वेरंग
भावनासँ दुर
वास्तविक्ताक धरातलपर
सत्यक समिप
विचलित मन
चाहैत अछि एकान्त
निर्दयी आ क्रुर
क्षण क्षण परिवर्तित होयत जिवन
संघर्षक सह यात्रामे
निरन्तर कठोर परीक्षाक विच
विचलित मन
चाहैत अछि एकान्त
घृणा, द्वेश, दुत्कार
अपमान आ फजिहत्तसँ भरल जिवन
उपकारक बदला दुत्कार
अपनहिस तिरस्कार
स्वार्थक चंगुलमे फसल अपनत्व
चापलुसिक दल दलमे फसल, समाजमे
निश्वार्थ अपनत्वके खोजि
विचलित मन
चाहैत अछि एकान्त
मन चाहैत अछि एकान्त
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